उन्होंने कोई अच्छे काम नहीं किए थे जिंदगी में यह उन्हें पता था और उन्हें भी जिन्होंने किया उनका अंतिम संस्कार उन्हें पता था शायद इनसान उन्हें कभी माफ न कर सकें पर उन्हें उम्मीद थी इबारतें उन्हें माफ कर देंगी और वे ऐसा पहले भी करती रही हैं।
हिंदी समय में संजय चतुर्वेदी की रचनाएँ